तू मेरी जान मुझको इतना प्यार न कर,
नयनों के अनुबंधो से मुझ पर अधिकार न कर
गिरा के बिजलियॉ हुस्न की मुझ पर ये अपनी
तू सुकून ए दिल को मेरे गिरफ्तार न कर,
बंजर ही रहने दे मेरे जिस्म-ए-शबाब को
तू मुस्कुरा के इसको समनज़ार न कर,
सींच कर अपनी इन शोख़ सी अदाओं से
इस कच्ची कली को अभी गुलनार न कर
बोल दे जुबां से जो इन ऑखो में भर रखा है
मेरे कहने का ही अब तू इंतजार न कर,
किया था आज मिलने का जो तुमने वादा
यूॅ पलट के ये मुलाकात भी तू उधार न कर,
दूर हो जायेगी दुनिया मेरी इक दिन मुझसे
ये बता बता के तू मुझको सोगवार न कर
दर्द बहुत है तेजस को तेरे जाने के बाद जिंदगी में
दुआ तू भी मेरी लम्बी उम्र की अब बार बार न कर।
-दिव्यांशू कश्यप ‘तेजस’

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