आहटों से टूटी नींद, मैं सहम गई, कभी इस कमरे कभी उस कमरे कभी यहाँ कभी वहाँ गई, हल्की फुलकी रौशनी थी, पाँचवे पे काँटा था, ‘रहने भी दो! कोई वहम होगा’ अभी तो मोहल्लेContinue reading
Day: October 31, 2017
तुम्हे याद हो कि न याद हो | सुमित झा
तुम्हें याद हो कि न याद हो, कि आज की जैसी ही रातों में कभी कुछ सालों पहले मैंने तुमसे और तुमने मुझसे प्रेम किया था! तुम्हें याद हो कि ना याद हो, कि इसीContinue reading
मैथिलि की प्रेम कहानी | श्रेया लेवी
२५ सितम्बर २००० कॉलेज में एक नयी लड़की आयी थी, मैथिली। बहुत सुन्दर है वो, बाल लम्बे लम्बे काली घटा से लगते है। हर बार की तरह नए एड-मिशन वालो की रैगिंग का प्रचलन था,Continue reading